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गायत्री के पाँच मुखों का रहस्य

शिवजी ने गायत्री के पाँच मुखों का रहस्य बताते हुए कहा

हे पार्वती! यह संपूर्ण ब्रह्मान्ड जल, वायु, पृथ्वी, तेज और आकाश के पांच तत्वों से बना है | इस पृथ्वी पर प्रत्येक जीव के भीतर गायत्री प्राण-शक्ति के रूप में विद्यमान है | ये पांच तत्व ही गायत्री के पांच मुख हैं | मनुष्य के शरीर में इन्हें पांच कोश कहा गया है | ये पांच कोश अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश और आनंदमय कोश के नाम से जाने जाते हैं | ये पांच अनंत ऋद्धि सिद्धियों के अक्षय भंडार हैं | इन्हें पाकर जीव धन्य हो जाता है |

पार्वती ने पूछा
हे प्रभु ! इन्हें जाना कैसे जाता है? इनकी पहचान क्या है?

शिवजी बोले
हे पार्वती ! योग साधना से इन्हें जाना जा सकता है, पहचाना जा सकता है | इन्हें सिद्ध करके जीव भव सागर के समस्त बंधनों से मुक्त हो जाता है | जीवन मरण के चक्र से छूट जाता है | जीव के पांच तत्वों की श्रीवृद्धी और पुष्टि इस प्रकार से होती है - 'शरीर' की अन्न से, 'प्राण' की तेज से, 'मन' की नियंत्रण से, 'ज्ञान' की विज्ञान से और 'आनंद' की कला से | गायत्री के पांच मुख इन्हीं पांच तत्वों के प्रतीक हैं |

|| हरि तत सत ||

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